Wednesday, May 26, 2010

खेल को तमाशे में तब्दील न करें

खेलों की समाज में भूमिका सिर्फ शरीर स्वस्थ रखने या मनोरंजन तक नहीं है। खेल हमें नियमों का पालन करने की संस्कृति, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और निपुणता-कुशलता को बढ़ावा देने का रास्ता दिखाते हैं। सिर्फ खेल के रास्ते पर चलकर हम समाज का विकास कर सकते हैं। बेहतर खेलने वाला किसी भी जाति, धर्म, क्षेत्र या आर्थिक वर्ग का हो सिर्फ अपने कौशल के कारण सम्मान पाता है। अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में वह देश का नाम ऊँचा करता है। राष्ट्रीय प्रतिष्ठा के लिए हमें खेलों और खिलाड़ियों को संरक्षण देना चाहिए।

दुर्भाग्य से हमारे खेल प्रतिष्ठान ही हमारे खेल के दुश्मन हो गए हैं। पैसे और रसूख के कारण खेल संघों पर तमाम तरह के अवांछित लोग हावी हो गए हैं। आईपीएल में हमने गंदगी और भ्रष्टाचार का कुरूप चेहरा देखा। खेल संघों में बढ़ती राजनीति और पैसे की भूमिका पर हमें गम्भीरता से विचार करना चाहिए।

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