Monday, February 3, 2014

आजम खां की सातों भैसें बरामद, तीन सिपाही लाइन हाजिर

चुनाव से पहले की मोर्चाबंदी पर मंजुल का कार्टून
हिंदू में केशव का कार्टून कहता है कि गैर-भ्रष्ट नेताओं की सूची बनाना आसान होता

आजम खां की चोरी गई सातों भैसें बरामद हो गई हैं। इस सिलसिले में तीन पुलिसकर्मी लाइन हाजिर  किए गए हैं। आज की उल्लेखनीय खबरों में यह भी एक है। जागरण में एक खबर है कि उत्तर प्रदेश में बाघिन से बड़ी भैंस।  केजरीवाल की दिल्ली सरकार हरेक विधायक को मिलने वाली चार करोड़ की रकम वाली व्यवस्था खत्म करके उसकी जगह ऐसी व्यवस्था लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत इस राशि को इलाके की जनता ही खर्च करे। उधर दिल्ली विधानसभा में आप विरोधी मोर्चा बन गया है।  टाइम्स ऑफ इंडिया की आज की लीड इस बात पर है कि संसदीय कर्म के लिहाज से 15 वी लोकसभा का प्रदर्शन सबसे फिसड्डी साबित होने वाला है। विचारार्थ पड़े 72 विधेयक शायद लैप्स हो जाएंगे। मुम्बई एनआईए की विशेष अदालत ने जाली नोटों के सिलसिले में 6 लोगों को उम्रकैद की सजा दी है। हालांकि सभी अखबारों में यह खबर नहीं है, पर इसका महत्वपूर्ण पहलू यह है कि देश की किसी अदालत ने पहली बार जाली करेंसी छापने के पीछे पाकिस्तानी सरकारी व्यवस्था को जिम्मेदार माना है। मोदी की मेरठ रैली स्वाभाविक रूप से ज्यादातर अखबारों में प्रमुखता से छपी है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी कहा है कि सन 2009 में सरकार बनाना कांग्रेस की गलती थी। यह बात दो कारणों से समझ में नहीं आती। 2009 में तो कांग्रेस को 2004 से बेहतर बहुमत मिला था। कहा तो यह जाता है कि 2004 में कांग्रेस सरकार न बनती तो कांग्रेस, खासतौर से नेहरू-गांधी कांग्रेस समाप्त हो जाती। यों भी मुख्यधारा की पार्टियाँ सत्ता से बाहर नहीं रहना चाहतीं। कांग्रेस लम्बे समय तक सत्ता से बाहर रहने पर खूँटा तुड़ाकर भागते हैं। देश में ऐसा कोई पार्टी नहीं है, जिसके भीतर धैर्य हो। आप के भीतर भी वह धैर्य दिखाई नहीं पड़ता। बहरहाल यह मसला आज चैनलों के विचार का विषय हो सकता है, बशर्ते दिन में कुछ नया न हो जाए। न्यूजीलैंड में भारतीय टीम की कायदे से ठुकाई होने के बाद फिलहाल मीडिया को क्रिकेट की याद नहीं आ रही है। आज की कतरनें नोश फरमाएंः-



नवभारत टाइम्स





अमर उजाला 


दैनिक जागरण






दैनिक भास्कर


हिन्दुस्तान


टाइम्स ऑफ इंडिया

15th Lok Sabha to end up as worst performing ever
Akshaya Mukul & Indrani Bagchi,TNN | Feb 3, 2014, 02.31 AM IST

NEW DELHI: In less than a month's time, the 15th Lok Sabha's term will come to an end with the dubious distinction of being the worst performing House since independence, passing the least number of bills (165) in a five-year term.

Of the 126 bills pending in Parliament, 72 are pending in the Lower House which means they will die when the new Lok Sabha is constituted. The remaining 54 bills pending in Rajya Sabha will live to see another day but considering that the Indian Medical Council (Amendment) Bill has been waiting for passage since 1987, there is not much hope for them either.

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