Monday, March 27, 2017

अब माइक्रो-आतंकी खतरा

पिछले बुधवार को लंदन के वेस्टमिंस्टर इलाके में आतंकी कार्रवाई करके इस्लामी चरमपंथियों ने आतंक फैलाने की जो कोशिश की उसकी गहराई तक जाने की जरूरत है। आतंकी रणनीतिकारों ने कम से कम जोखिम लेकर ज्यादा से ज्यादा पब्लिसिटी हासिल कर ली। उनका यही उद्देश्य था। अमेरिका में 9/11 हमले के बाद आतंकवादियों ने उच्च तकनीक की मदद ली थी। उसका तोड़ वैश्विक पुलिस व्यवस्था ने निकाल लिया। तकनीकी इंटेलिजेंस और हवाई अड्डों की सुरक्षा व्यवस्था में सुधार करके उनकी गतिविधियों को काफी सीमित कर दिया था। अब आतंकवादी जिस रास्ते पर जा रहे हैं उसमें मामूली तकनीक का इस्तेमाल है। इसे विशेषज्ञ माइक्रो-आतंकवाद बता रहे हैं।

लंदन पर हुए हमले के एक दिन बाद बेल्जियम के एंटवर्प शहर में लगभग इसी अंदाज में एक व्यक्ति ने अपनी कार भीड़ पर चढ़ा दी। इस घटना में भी कई लोग घायल हुए और हमलावर पकड़ा गया है। आतंक की इस नई रणनीति पर गौर करने की जरूरत है। लंदन का यह हमला पिछले आठ महीने में पाँचवाँ बड़ा हमला है, जिसमें मोटर वाहन का इस्तेमाल किया गया है।

अलकायदा ने जब न्यूयॉर्क के ट्विन टावर्स पर हमले के लिए हवाई जहाजों का इस्तेमाल किया था, तब वह एक नई परिघटना थी। तब से अबतक दुनिया ने काफी कुछ सीख लिया। अब हवाई अड्डों की सुरक्षा काफी बदल चुकी है। हवाई जहाज के भीतर आतंकवादियों का प्रवेश मुश्किल हो गया है। उसके जोखिम बहुत ज्यादा हैं। उन्होंने अब कारों, बसों या ट्रकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। पिछले एक साल में कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कार, ट्रक या बस का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया गया।

14 जुलाई 2016, फ्रांस के शहर नीस में बास्तील दिवस मना रहे लोगों की भीड़ पर हमला किया गया। एक ट्रक भीड़ पर चढ़ा दिया गया, जिसमें कम से कम 80 लोग मारे गए। ट्रक के ड्राइवर को पुलिस ने गोली मार दी, पर तब तक वह तमाम निर्दोषों की जान ले चुका था। नवम्बर में अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी परिसर में ऐसी ही घटना हुई। इसमें एक छात्र ने विश्वविद्यालय परिसर में अपनी कार लोगों के ऊपर चढ़ा दी और बाद में कार से उतरकर लोगों को चाकुओं से गोदा। इस हमले में 11 लोग घायल हो गए। इसके बाद एक पुलिस अधिकारी ने उसे गोली मारी।

इसके अगले महीने दिसम्बर 2016 में जर्मनी की राजधानी बर्लिन में हुए एक आतंकी हमले में 12 लोगों की मौत हो गई। बर्लिन के भीड़भाड़ वाले बाजार में अचानक एक ट्रक ने लोगों को रौंदना शुरू कर दिया। बाद में इसका ड्राइवर मारा गया। जनवरी 2017 में इजराइल की राजधानी यरूशलम में एक शख़्स ने सैनिकों पर ट्रक चढ़ा दिया जिससे तीन महिला सैनिकों और एक पुरुष सैनिक की मौत हो गई और 15 घायल हो गए। बाद में पुलिस ने इस शख़्स को गोली मार दी। इसी तरह की एक घटना मेलबर्न में हुई, जिसमें छह लोग मरे। हाल में 15 मार्च को इजराइल में एक और ऐसी ही घटना हुई, जिसमें पुलिस ने एक फलस्तीनी किशोर को गोली मार दी।

सेंट्रल लंदन का वेस्टमिंस्टर इलाका ब्रिटिश सभ्यता-संस्कृति का केन्द्र है। ब्रिटिश लोकतंत्र का प्रतीक संसद भवन भी यही है। इस इलाके में आतंकी कार्रवाई का एक संदेश है, जिसपर ध्यान देने की जरूरत है। हताहतों की संख्या के लिहाज से यह घटना बहुत बड़ी नहीं है, पर दहशत फैलाने के नजरिए से काफी बड़ी है। कट्टरपंथी तत्व नौजवानों को आत्मघाती गतिविधियों की ओर प्रेरित करने में कामयाब हो रहे हैं।

लंदन के हमलावर की पहचान 52 वर्षीय ख़ालिद मसूद के रूप में हुई है। तीन बच्चों के पिता ख़ालिद मसूद ने हमला करने के लिए ख़ुद को शिक्षक बताते हुए कार किराए पर ली थी. वेस्टमिंस्टर पुल पर लोगों पर कार चढ़ाकर हमला करने तक उन्होंने क्या किया इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. स्कॉटलैंड यार्ड के मुताबिक मौजूदा समय में मसूद की किसी भी मामले में कोई जांच नहीं हो रही थी और न ही हमला करने की उनकी मंशा को लेकर कोई पूर्व जानकारी थी। यह शख्स चरमपंथ से जुड़े किसी भी मामले में कभी भी दोषी नहीं ठहराया गया था। यानी एक ऐसे व्यक्ति ने यह आतंकी कार्रवाई की, जिसपर आसानी से शक नहीं किया जा सकता था।

इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी गुट इस्लामिक स्टेट या दाएश ने कबूल की है। इसका एक मतलब यह है कि दाएश ने ऐसे लोगों को इस्तेमाल करना शुरू किया है, जिनपर आसानी से शको-शुब्हा न हो। उसने बड़े ऑटोमेटिक हथियारों के बजाय सामान्य चाकुओं, बल्कि कारों का इस्तेमाल शुरू किया है, जिन्हें हथियार कहा भी नहीं जा सकता। उद्देश्य केवल दहशत फैलाना है। लंदन की इस घटना से पूरा यूरोप हिल गया। ज्यादा बड़े खून-खराबे की जरूरत नहीं पड़ी।

लंदन की काउंटर टैररिज्म व्यवस्था उत्कृष्ट मानी जाती है। सन 2005 में लंदन में विस्फोट हुए थे। उसके बाद से पुलिस ने आतंकवादियों पर नकेल कस रखी थी और कोई बड़ी घटना नहीं हो पाई थी। बताया जाता है कि पिछले चार साल में लंदन पुलिस में कम से कम 13 बड़ी घटनाओं को होने से रोक लिया। पर अब जो घटनाएं हो रहीं हैं, उनसे पता लगता है कि आतंकवादियों ने नई रणनीति को अपना लिया है। दाएश ने सोशल मीडिया के मार्फत नेटवर्क बनाने के नए-नए तरीके खोज लिए हैं।

सन 2014 में आईएस के एक ट्वीट हैंडलर की बेंगलुरु में गिरफ्तारी के बाद जो बातें सामने आईं, उन्होंने बताया कि ‘सायबर आतंकवाद’ का खतरा उससे कहीं ज्यादा बड़ा है, जितना सोचा जा रहा था। ब्रिटेन के जीसीएचक्यू (गवर्नमेंट कम्युनिकेशंस हैडक्वार्टर्स) प्रमुख रॉबर्ट हैनिगैन के अनुसार फेसबुक और ट्विटर आतंकवादियों और अपराधियों के कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क बन गए हैं। फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में उन्होंने बताया कि आईएस (इस्लामिक स्टेट) ने वैब का पूरा इस्तेमाल करते हुए सारी दुनिया से ‘भावी जेहादियों’ को प्रेरित-प्रभावित करना शुरू कर दिया है।

अब मोटरगाड़ियों का इस्तेमाल एक नए खतरे के रूप में सामने आ रहा है। यूरोप में किराए पर कार लेना बड़ा आसान है। काउंटर टैररिज्म विशेषज्ञों ने फिलहाल लोगों से कहा है कि वे सड़क पर चलते वक्त सावधान रहें और किसी भी समय असाधारण गतिविधि के लिए तैयार रहें। प्रतिफल यह होगा कि सड़कों पर बैरीकेडिंग बढ़ेगी और जाँच के तरीके बदलेंगे। बावजूद इसके फुटपाथ पर चलने के जोखिम बढ़ जाएंगे।

हरिभूमि में प्रकाशित

The Guardian Profile of Khalid Masood

1 comment:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व रंगमंच दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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