इस अभियान को लेकर मिली शिकायतों के बाद प्रशासन ने पुलिस को आगाह किया है कि चाय की दुकानों में खाली बैठे नौजवानों के साथ सख्ती बरतने और मुंडन करने या मुर्गा बनाने जैसी कार्रवाई से बचे। यह मामला हाईकोर्ट तक गया है और लखनऊ खंडपीठ ने इसे सही ठहराया है। अदालत ने कहा-प्रदेश के नागरिकों के लिए संकेत है कि वे भी अनुशासन के लिए अपने बच्चों को शिक्षित करें। उत्तर प्रदेश से प्रेरणा पाकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने यहाँ भी ऐसा ही अभियान चलाने की घोषणा की है।
Sunday, April 2, 2017
प्रश्न प्रदेश में योगी का प्रवेश
इस अभियान को लेकर मिली शिकायतों के बाद प्रशासन ने पुलिस को आगाह किया है कि चाय की दुकानों में खाली बैठे नौजवानों के साथ सख्ती बरतने और मुंडन करने या मुर्गा बनाने जैसी कार्रवाई से बचे। यह मामला हाईकोर्ट तक गया है और लखनऊ खंडपीठ ने इसे सही ठहराया है। अदालत ने कहा-प्रदेश के नागरिकों के लिए संकेत है कि वे भी अनुशासन के लिए अपने बच्चों को शिक्षित करें। उत्तर प्रदेश से प्रेरणा पाकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने यहाँ भी ऐसा ही अभियान चलाने की घोषणा की है।

Witness of four electrifying decades of Hindi Media. Seventies to the first decade of twenty first century. Last assignment : Sr Resident Editor, Hindustan, Delhi. Now works as independent writer. Lives in Ghaziabad
क्या उत्तर देगा योगी का प्रश्न प्रदेश?
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर एक योगी को बैठाकर बहुत बड़ा प्रयोग किया है। क्या यह प्रयोग सफल होगा? पार्टी अपनी विचारधारा का बस्ता पूरी तरह खोल नहीं रही थी। उत्तर प्रदेश के चुनाव ने उसका मनोबल बढ़ाया है। इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव और होने वाले हैं। उसके बाद अगले साल कर्नाटक में होंगे। योगी-सरकार स्वस्थ रही तो पार्टी एक मनोदशा से पूरी तरह बाहर निकल आएगी। फिलहाल बड़ा सवाल यह है कि इस प्रयोग का फौरी परिणाम क्या होगा? क्या उत्तर प्रदेश की जनता बदलाव महसूस करेगी?

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Saturday, December 31, 2016
ड्रामा था या सच अखिलेश बड़े नेता बनकर उभरे
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इलाहाबाद में अखिलेश समर्थक एक पोस्टर |

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Monday, November 7, 2016
अब तलवार तो अखिलेश के हाथ में है

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Sunday, October 30, 2016
बिहार के रास्ते पर यूपी की राजनीति?
प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक आकाश पर जैसे शिकारी पक्षी मंडराने लगे हैं. चुनाव नज़दीक होने की वजह से यह लाज़िमी था. लेकिन समाजवादी पार्टी के घटनाक्रम ने इसे तेज़ कर दिया है. हर सुबह लगता है कि आज कुछ होने वाला है.
प्रदेश की राजनीति में इतने संशय हैं कि अनुमान लगा पाना मुश्किल है कि चुनाव बाद क्या होगा. कुछ समय पहले तक यहाँ की ज्यादातर पार्टियाँ चुनाव-पूर्व गठबंधनों की बात करने से बच रही थीं.
भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने दावा किया था कि वे अकेले चुनाव में उतरेंगी. लेकिन अब उत्तर प्रदेश अचानक बिहार की ओर देखने लगा है. पिछले साल बिहार में ही समाजवादी पार्टी ने 'महागठबंधन की आत्मा को ठेस' पहुँचाई थी. इसके बावजूद ऐसी चर्चा अब आम हो गई है.
बहरहाल, अब उत्तर प्रदेश में पार्टी संकट में फँसी है तो महागठबंधन की बातें फिर से होने लगीं हैं.
सवाल है कि क्या यह गठबंधन बनेगा? क्या यह कामयाब होगा?
सपा और बसपा के साथ कांग्रेस के तालमेल की बातें फिर से होने लगी हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह है 'सर्जिकल स्ट्राइक' के कारण बीजेपी का आक्रामक रुख.
उधर कांग्रेस की दिलचस्पी अपनी जीत से ज्यादा बीजेपी को रोकने में है, और सपा की दिलचस्पी अपने को बचाने में है. कांग्रेस, सपा, बसपा और बीजेपी सबका ध्यान मुस्लिम वोटरों पर है. बीजेपी का भी...
मुस्लिम वोट के ध्रुवीकरण से बीजेपी की प्रति-ध्रुवीकरण रणनीति बनती है. 'बीजेपी को रोकना है' यह नारा मुस्लिम मन को जीतने के लिए गढ़ा गया है. इसमें सारा ज़ोर 'बीजेपी' पर है.
बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम पर पढ़ें पूरा लेख

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Monday, October 24, 2016
बादशाह अकबर के खिलाफ खड़े हैं 'सलीम' अखिलेश

सलमान रावी
बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
समाजवादी पार्टी में हालात कुछ मुग़लिया सल्तनत के उस दौर जैसे हैं जब अकबर हिन्दुस्तान के शहंशाह हुआ करते थे और सलीम को ख़ुद की पहचान के लिए बग़ावत करनी पड़ी थी.
राजनीतिक विश्लेषक समाजवादी पार्टी की बैठक के दौरान अखिलेश यादव के तेवर में बग़ावत की बू पाते हैं.
बैठक के दौरान पार्टी सर्वेसर्वा मुलायम सिंह यादव द्वारा पुत्र को सार्वजनिक फटकार, और अखिलेश यादव की चाचा शिवपाल यादव से हुई नोक झोंक से समझ साफ है कि समाजवादी पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है.
राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद जोशी कहते हैं कि अखिलेश यादव का राजनीतिक भविष्य उनकी बग़ावत में ही है.
प्रमोद जोशी कहते हैं, "अखिलेश यादव की बग़ावत उसी तरह की है जैसी शहज़ादे सलीम ने अकबर के ख़िलाफ़ की थी. अगर वो झुक जाते हैं तो उनका राजनीतिक भविष्य ख़त्म हो जाएगा."
पूरा आलेख पढ़ें बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम पर

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Saturday, June 13, 2015
बिहार में बोया क्या यूपी में काट पाएंगे मुलायम?

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Wednesday, May 22, 2013
क्या यूपी में चल पाएगा मोदी का करिश्मा?


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Sunday, December 11, 2011
सरकार बनाम सरकार !!!
नवम्बर के आखिरी हफ्ते में लखनऊ में हुई एक रैली में मायावती ने आरोप लगाया कि हमने केन्द्र सरकार से 80,000 करोड़ रुपए की सहायता माँगी थी, पर हमें मिला कुछ नहीं। यही नहीं संवैधानिक व्यवस्थाओं के तहत जो कुछ मिलना चाहिए वह भी नहीं मिला। संघ सरकार पर राज्य सरकार का करोड़ों रुपया बकाया है। इस तरह केन्द्र सरकार उत्तर प्रदेश के विकास को बंधक बना रही है। कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में अपनी खस्ता हालत को देखकर इस कदर डरी हुई है कि उसके महासचिव राहुल गांधी दिल्ली में सारे काम छोड़कर उत्तर प्रदेश में ‘नाटकबाजी’ कर रहे हैं।
उधर राहुल गांधी ने बाराबंकी की एक रैली में कहा कि लखनऊ में एक हाथी विकास योजनाओं का पैसा खा रहा है। पिछले बीस साल से उत्तर प्रदेश में कोई काम नहीं हुआ है। देश आगे जा रहा है और उत्तर प्रदेश पीछे। राहुल गांधी का कहना है कि मनरेगा और शिक्षा से जुड़ी जो रकम उत्तर प्रदेश को मिली उसका दुरुपयोग हुआ। दो साल पहले संसद में पूछे गए एक सवाल में बताया गया था कि राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में सबसे ज्यादा शिकायतें उत्तर प्रदेश से मिली हैं। हाल में केन्द्रीय रोजगार गारंटी परिषद के सदस्य संदीप दीक्षित ने कहा कि प्रदेश में मनरेगा के तहत 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला है। हाल में केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने भी इसी किस्म के आरोप लगाए और इसकी सीबीआई जाँच की माँग भी की। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने इस घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय पर सीधे आरोप लगाए हैं। उत्तर प्रदेश में ग्रामीण स्वास्थ्य योजना के घोटालों को लेकर सीएजी की कोई रपट भी जल्द आने वाली है। प्रदेश में तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की हत्या के बाद से उत्तर प्रदेश की ग्रामीण स्वास्थ्य योजना को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार आलोचना कर रही है।

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Wednesday, November 23, 2011
उत्तर प्रदेश में शोर ज़्यादा और मुद्दे कम
मुलायम सिंह ने बुधवार को एटा की रैली से अपने चुनाव अभियान की शुरूआत की। समाजवादी पार्टी का यकीन है कि मुलायम सिंह जब भी एटा से अभियान शुरू करते हैं, जीत उनकी होती है। एटा उनका गढ़ रहा है, पर 2007 के चुनाव में उन्हें यहाँ सफलता नहीं मिली। समाजवादी पार्टी इस बार अपने मजबूत गढ़ों को लेकर संवेदनशील है। एटा की रैली में पार्टी के महामंत्री मुहम्मद आजम खां ने कहा, ‘मैं यहाँ आपसे आपका गुस्सा माँगने आया हूँ। आप सबको मायावती के कार्यकाल में हुए अन्याय का बदला लेना है।‘ समाजवादी पार्टी घायल शेर की तरह इस बार 2007 के अपमान का बदला लेना चाहती है। मुलायम सिंह इस बार खुद मुख्यमंत्री बनने के लिए नहीं मायावती को हराने के लिए मैदान में हैं।

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एक दाँव जो उल्टा भी पड़ सकता है

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