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Tuesday, December 19, 2017

बीजेपी ने गुजरात बचा तो लिया, पर...

गुजरात और हिमाचल के परिणामों से पहली बात यह साबित हुई कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता अभी कायम है और बीजेपी 2019 के चुनावों को अपनी मुट्ठी में रखने को कृतसंकल्प है. तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस पार्टी के लिए गुजरात सबसे बड़ा काँटा साबित हुआ है. राहुल गांधी के पदारोहण के बाद पहली खबर अच्छी नहीं आई है. उन्हें संतोष हो सकता है कि लम्बे अरसे बाद कांग्रेस ने एक ऐसे राज्य में अपनी स्थिति सुधारी है, जो बीजेपी का गढ़ माना जाता है. पर इस सुधार का श्रेय कांग्रेस पार्टी या संगठन को नहीं जाता. श्रेय जाता है हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर की तिकड़ी को या गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के बीच बढ़ते असंतोष को.

Sunday, December 17, 2017

सी-प्लेन पर सवार सियासत

गुजरात विधानसभा के चुनाव-प्रचार के आखिरी दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साबरमती नदी से मेहसाणा जिले के धरोई बांध तक सी-प्लेन में सफर करके एक नया राजनीतिक मोर्चा खोल दिया। भारतीय जनता पार्टी दिखाना चाहती है कि जिस विकास को कांग्रेस पार्टी पागल कहकर बदनाम कर रही है, वह जल,थल और आकाश तीनों जगह जा रहा है। यह है हमारा विकास। मोदी की इस यात्रा को तमाशा कहें या विकास, उम्मीद स बात की है कि 2019 की चुनाव सभाओं में नेतागण सी-प्लेन से यात्रा करते नजर आएँगे।  
प्रधानमंत्री ने सोमवार को अहमदाबाद में रोड शो की इजाज़त नहीं मिलने पर एक चुनावी रैली में ऐलान किया था कि आपने साबरमती नदी देखी होगी। पहले वहां सर्कस होता था, अब वहां रिवरफ्रंट है। यह विकास है, लेकिन कांग्रेस के लिए विकास केवल वही जिससे वो पैसे बना सकें। उन्होंने कहा, हर जगह एयरपोर्ट्स नहीं बना सकते, इसलिए अब जलमार्गों पर फोकस करेंगे।

Saturday, November 25, 2017

‘ग्रहण’ से बाहर निकलती कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी के भीतर उत्साह का वातावरण है। एक तरफ राहुल गांधी के पदारोहण की खबरें हैं तो दूसरी ओर गुजरात में सफलता की उम्मीदें हैं। मीडिया की भाषा में राहुल गांधी ने फ्रंटफुट पर खेलना शुरू कर दिया है।  उनके भाषणों को पहले मुक़ाबले ज़्यादा कवरेज मिल रही है। अब वे हँसमुख, तनावमुक्त और तेज-तर्रार नेता के रूप में पेश हो रहे हैं। उनके रोचक ट्वीट आ रहे हैं। उनकी सोशल मीडिया प्रभारी दिव्य स्पंदना के अनुसार कि ये ट्वीट राहुल खुद बनाते हैं।
राहुल के पदारोहण के 14 दिन बाद गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम आएंगे। ये परिणाम कांग्रेस के पक्ष में गए तो खुशियाँ डबल हो जाएंगी। और नहीं आए तो? कांग्रेस पार्टी हिमाचल में हारने को तैयार है, पर वह गुजरात में सफलता चाहती है। सफलता माने स्पष्ट बहुमत। पर आंशिक सफलता भी मिली तो कांग्रेस उसे सफलता मानेगी। कांग्रेस के लिए ही नहीं बीजेपी के नजरिए से भी गुजरात महत्वपूर्ण है। वह आसानी से इसे हारना नहीं चाहेगी। पर निर्भर करता है कि गुजरात के मतदाता ने किस बात का मन बनाया है। गुजरात के बाद कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे महत्वपूर्ण राज्य 2018 की लाइन में हैं। ये सभी चुनाव 2019 के लिए बैरोमीटर का काम करेंगे।

Saturday, November 4, 2017

‘नोटबंदी’ पार लगा देगी कांग्रेसी नैया?

सोशल मीडिया सेल की जिम्मेदारी रम्या उर्फ दिव्य स्पंदना को मिल जाने के बाद से कांग्रेस के प्रचार में जान पड़ गई है। हाल में ट्विटर पर प्रचारित एक वीडियो देखने को मिला, जिसमें गब्बर सिंह हाथ में दो तलवारें लिए ठाकुर के दोनों हाथ काट रहा है। दोनों तलवारों में एक जीएसटी की है और दूसरी नोटबंदी की। कहा जा रहा है कि गुजरात में दोनों बातें बीजेपी को हराने में मददगार होंगी। कांग्रेस पार्टी इसी उम्मीद में 8 नवम्बर को काला दिन मनाने जा रही है। उसी दिन भारतीय जनता पार्टी ने काला धन विरोधी दिवस के रूप में जश्न मनाने की योजना भी बनाई है।

नोटबंदी और जीएसटी पर यदि गुजरात में बीजेपी को धक्का लगा तो उसके बाद के चुनावों को बचाना आसान नहीं होगा। इसलिए यह चुनाव काफी रोचक हो गया है। कांग्रेस पार्टी के नज़रिए से देखें तो उसकी उम्मीदें बीजेपी की नकारात्मकता पर टिकी हैं। यानी लोग सरकार से नाराज हैं, 22 साल की इनकम्बैंसी है और जातीय समीकरण भी उसके खिलाफ जा रहा है। लोगों को यह भी बताना होगा कि इन बातों से निजात दिलाने के लिए कांग्रेस क्या करने जा रही है। राष्ट्रीय राजनीति में उसकी स्थिति क्या है और आर्थिक नीतियों में वह ऐसा क्या करेगी, जो बीजेपी सरकार की नीतियों से बेहतर होगा। केवल नोटबंदी से उम्मीदें बाँध लेना काफी नहीं होगा।

यह सच है कि नोटबंदी को शुरू में जनता का समर्थन मिला था। उत्तर प्रदेश के चुनाव में मिली भारी विजय से बीजेपी का उत्साह काफी बढ़ा, पर हाल में आर्थिक मोर्चे पर मंदी की खबरें आने से जनता के दिलो-दिमाग में सवाल खड़े होने लगे हैं। बीजेपी यह बताने की कोशिश कर रही है कि परेशानी अस्थायी है और लम्बी बीमारी के इलाज में तकलीफें भी होती हैं। फिर भी जनता संशय में है और इस संशय का लाभ गुजरात में कांग्रेस को मिल भी सकता है। पर कितना? क्या यह लाभ इतना बड़ा होगा कि वह गुजरात में सरकार बना सके? उसे निर्णायक जीत मिले?  

Saturday, October 14, 2017

राहुल के पुराने तरकश से निकले नए तीर


कुछ महीने पहले तक माना जा रहा था कि मोदी सरकार मजबूत जमीन पर खड़ी है और वह आसानी से 2019 का चुनाव जीत ले जाएगी। पर अब इसे लेकर संदेह भी व्यक्त किए जाने लगे हैं। बीजेपी की लोकप्रियता में गिरावट का माहौल बन रहा है। खासतौर से जीएसटी लागू होने के बाद जो दिक्कतें पैदा हो रहीं हैं, उनके राजनीतिक निहितार्थ सिर उठाने लगे हैं। संशय की इस बेला में गुजरात दौरे पर गए राहुल गांधी की टिप्पणियों ने मसालेदार तड़का लगाया है।

पिछले कुछ दिन से माहौल बनने लगा है कि 2019 के चुनाव मोदी बनाम राहुल होंगे। राहुल गांधी पार्टी अध्यक्ष बनने को तैयार हैं। पहली बार लगता है कि वे खुलकर सामने आने वाले हैं। पर उसके पहले कुछ किन्तु-परन्तु बाकी हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि क्या गुजरात में कांग्रेसी अभिलाषा पूरी होगी? यदि हुई तो उसका परिणाम क्या होगा और नहीं हुई तो क्या होगा?