Showing posts with label झारखंड. Show all posts
Showing posts with label झारखंड. Show all posts

Tuesday, December 23, 2014

राजनीति अब और करवट लेगी

राष्ट्रीय राजनीति में भारी बदलाव की आहट

  • 3 मिनट पहले
जम्मू-कश्मीर, चुनाव
भारत प्रशासित जम्‍मू कश्‍मीर राज्य और झारखंड के विधानसभा चुनाव परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रभाव क्षेत्र के विस्तार को स्थापित किया है.
दोनों राज्यों में उसे अब तक की सबसे बड़ी सफलता हासिल हुई है. जम्मू-कश्मीर में पार्टी पहली बार असाधारण रूप से महत्वपूर्ण स्थिति में पहुँच गई है.
इससे केवल राज्य की राजनीति ही प्रभावित नहीं होगी, बल्कि इसका व्यापक राष्ट्रीय असर होगा. सम्भवतः भाजपा की अनेक अतिवादी धारणाएं पृष्ठभूमि में चली जाएंगी.
उसे राष्ट्रीय राजनीति के बरक्स अपने भीतर लचीलापन पैदा करना होगा.

पढ़ें लेख विस्तार से

भाजपा, समर्थक
भाजपा का दावा है कि जम्मू-कश्मीर का मौजूदा चुनाव उसकी दीर्घकालीन राजनीति का एक चरण है. यानी वह राज्य में ज़्यादा बड़ी भूमिका निभाने का इरादा रखती है.
इसकी परीक्षा अगले एक-दो दिन में ही हो जाएगी. देखना यह होगा कि क्या पार्टी कश्मीर में सरकार बनाने की कोशिश करेगी.
दूसरी ओर झारखंड में भाजपा को पिछली बार की तुलना में सफलता ज़रूर मिली है, पर उसे गठबंधन का सहारा लेना होगा.
यानी राज्य को गठबंधन-राजनीति से पूरी तरह मुक्ति नहीं मिलेगी. इसका मतलब यह भी है कि पार्टी ने सही समय पर वक़्त की नब्ज़ को पढ़ा और आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) से गठबंधन किया.

Sunday, December 21, 2014

उत्साहवर्धक है कश्मीर की वोटिंग

बहुत कुछ कहता है भारी मतदान

  • 51 मिनट पहले

चुनाव, कश्मीर

झारखंड और भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव अपने राजनीतिक निहितार्थ के अलावा सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज़ से महत्वपूर्ण होते हैं.
इन दोनों राज्यों में शांतिपूर्ण तरीक़े से मतदान होना चुनाव व्यवस्थापकों की सफलता को बताता है और मतदान का प्रतिशत बढ़ना वोटर की जागरूकता को.
दोनों राज्यों के हालात एक-दूसरे से अलग हैं, पर दोनों जगह एक तबक़ा ऐसा है जो चुनावों को निरर्थक साबित करता है.
इस लिहाज से भारी मतदान होना वोटर की दिलचस्पी को प्रदर्शित करता है.

पढ़ें लेख विस्तार से


चुनाव, कश्मीर

भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों ने चुनाव के बहिष्कार का आह्वान किया था और झारखंड में माओवादियों का डर था.
दोनों राज्यों में भारी मतदान हुआ. यूं भी सन 2014 को देश में भारी मतदान के लिए याद किया जाएगा. साल का अंत भारतीय लोकतंत्र के लिए कुछ अच्छी यादें छोड़कर जा रहा है.
भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर में पिछले 25 साल का सबसे भारी मतदान इस बार हुआ है.
सन 2002 के विधान सभा चुनावों ने कश्मीर में नया माहौल तैयार किया था, पर घाटी में मतदान काफ़ी कम होता था. पर इस बार कहानी बदली हुई है.
इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहले और दूसरे दौर का मतदान था. दोनों में 71 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट पड़े.