Showing posts with label नवोदय टाइम्स. Show all posts
Showing posts with label नवोदय टाइम्स. Show all posts

Tuesday, June 10, 2014

असम्भव तो नहीं, पर है यह अविश्वसनीय-स्वप्न


संसद के दोनों सदनों के सामने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अभिभाषण में केंद्र की नई सरकार का आत्मविश्वास बोलता है। पिछली सरकार के भाषणों के मुकाबले इस सरकार के भाषण में वैश्वीकरण और आर्थिक उदारीकरण एक सचाई के रूप में सामने आता है, मजबूरी के रूप में नहीं। उसमें बुनियादी तौर पर बदलते भारत का नक्शा है। फिर भी इस भाषण को अभी एक राजनेता का सपना ही कह सकते हैं। इसमें एक विशाल परिकल्पना है, पर उसे पूरा करने की तज़बीज़ नजर नहीं आती। बेशक कुछ करने के लिए सपने भी देखने होते हैं। मोदी ने यह सपना देखा है तो सम्भव है वे अपने पुरुषार्थ से इसे पूरा करके भी दिखाएं। सम्भव है कि सारी कायनात इस सपने को पूरा करने में जुट जाएं। असम्भव तो कुछ भी नहीं है।

नरेंद्र मोदी जनता की कल्पनाओं को उभारने वाले नेता हैं। उनकी सरकार अपने हर कदम को रखने के पहले उसके असर को भी भाँप कर चलती है। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर नज़र डालें तो उसमें देश के टेक्नोट्रॉनिक बदलाव की आहट है तो सामाजिक क्षेत्र में बदलाव का वादा भी है। महिलाओं के आरक्षण को प्रतीक बनाकर आधी आबादी की आकांक्षाओं को रेखांकित किया है तो हर हाथ को हुनर और हर खेत को पानी का भरोसा दिलाया गया है। यह भाषण मध्यवर्गीय भारत की महत्वाकांक्षाओं को भी परिलक्षित करता। देश में एक सौ नए शहरों का निर्माण, अगले आठ साल में हर परिवार को पक्का मकान, गाँव-गाँव तक ब्रॉडबैंड पहुँचाने का वादा और हाई स्पीड ट्रेनों के हीरक चतुर्भुज तथा राजमार्गों के स्वर्णिम चतुर्भुज के अधूरे पड़े काम को पूरा करने का वादा किया है। न्यूनतम सरकार, अधिकतम सुशासन के मंत्र जैसी शब्दावली से भरे इस भाषण पर नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत मुहर साफ दिखाई पड़ती है। ट्रेडीशन, टैलेंट, टूरिज्म, ट्रेड और टेक्नोलॉजी के 5-टी के सहारे ब्रांड-इंडिया को कायम करने की मनोकामना इसके पहले नरेंद्र मोदी किसी न किसी रूप में व्यक्त करते रहे हैं।