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Thursday, September 15, 2016

पूरब में भारत

अगस्त 2014 में विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने वियतनाम की राजधानी हनोई में कहा कि मोदी सरकार भारत की ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ को सार्थक बनाते हुए उसे ‘एक्टिंग ईस्ट’ का रूप देना चाहती है। मई में विदेशमंत्री बनने के बाद वह सुषमा स्वराज की छठी विदेश यात्रा थी। उसके अगले महीने सितम्बर 2014 में तीन बड़ी गतिविधियों ने भारत की विदेश नीति को नई दिशा दी। महीने के पहले हफ्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान यात्रा पर गए। तीसरे हफ्ते में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत यात्रा पर आए और महीने के अंतिम सप्ताह में प्रधानमंत्री अमेरिका यात्रा पर गए।

Thursday, November 20, 2014

आक्रामक राजनय का दौर

पिछले तीन महीने में भारत की सामरिक और विदेश नीति से जुड़े जितने बड़े कदम उठाए गए हैं उतने बड़े कदम पिछले दो-तीन दशकों में नहीं उठाए गए। इसकी शुरूआत 26 मई को नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह से हो गई थी। इसमें पड़ोसी देशों के राष्ट्राध्यक्षों को बुलाकर भारत ने जिस नए राजनय की शुरूआत की थी उसका एक चरण 25 से 27 नवम्बर को काठमांडू में पूरा होगा। दक्षेस देशों के वे सभी राजनेता शिखर सम्मेलन में उपस्थित होंगे जो दिल्ली आए थे। प्रधानमंत्री ने 14 जून को देश के नए विमानवाहक पोत विक्रमादित्य पर खड़े होकर एक मजबूत नौसेना की जरूरत को रेखांकित करते हुए समुद्री व्यापार-मार्गों की सुरक्षा का सवाल उठाया था। उन्होंने परम्परागत भारतीय नीति से हटते हुए यह भी कहा कि हमें रक्षा सामग्री के निर्यात के बारे में भी सोचना चाहिए।

Tuesday, December 18, 2012

लुक ईस्ट, लुक एवरीह्वेयर

डिफेंस मॉनिटर का दूसरा अंक प्रकाशित हो गया है। इस अंक में पुष्पेश पंत, मृणाल पाण्डे, डॉ उमा सिंह, मे जन(सेनि) अफसिर करीम, एयर वाइस एडमिरल(सेनि) कपिल काक, कोमोडोर रंजीत बी राय(सेनि), राजीव रंजन, सुशील शर्मा, राजश्री दत्ता और पंकज घिल्डियाल के लेखों के अलावा धनश्री जयराम के दो शोधपरक आलेख हैं, जो बताते हैं कि 1962 के युद्ध में सामरिक और राजनीतिक मोर्चे पर भारतीय नेतृत्व ने जबर्दस्त गलतियाँ कीं। धनश्री ने तत्कालीन रक्षामंत्री वीके कृष्ण मेनन और वर्तमान रक्षामंत्री एके एंटनी के व्यक्तित्वों के बीच तुलना भी की है। सुरक्षा, विदेश नीति, राजनय, आंतरिक सुरक्षा और नागरिक उड्डयन के शुष्क विषयों को रोचक बनाना अपने आप में चुनौती भरा कार्य है। हमारा सेट-अप धीरे-धीरे बन रहा है। इस बार पत्रिका कुछ बुक स्टॉलों पर भेजी गई है, अन्यथा इसे रक्षा से जुड़े संस्थानों में ही ज्यादा प्रसारित किया गया था। हम इसकी त्रुटियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरे अंक में भी त्रुटियाँ हैं, जिन्हें अब ठीक करेंगे। तीसरा अंक इंडिया एयर शो पर केन्द्रत होगा जो फरवरी में बेंगलुरु में आयोजित होगा। बहरहाल ताज़ा अंक में मेरा लेख भारत की लुक ईस्ट पॉलिसी पर केन्द्रत है, जो मैं नीचे दे रहा हूँ। इस लेख के अंत में मैं डिफेंस मॉनीटर के कार्यालय का पता और सम्पर्क सूत्र दे रहा हूँ। 

एशिया के सुदूर पूर्व जापान, चीन और कोरिया के साथ भारत का काफी पुराना रिश्ता है। इस रिश्ते में एक भूमिका धर्म की है। दक्षिण पूर्व एशिया के कम्बोडिया, इंडोनेशिया, थाइलैंड और मलेशिया के साथ हमारे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रिश्ते रहे हैं। ईसा की दूसरी सदी में अरब व्यापारियों के आगमन के पहले तक हिन्द महासागर के पश्चिम और पूर्व दोनों ओर भारतीय पोतों का आवागमन रहता था। भारतीय जहाजरानी और व्यापारियों के अनुभवों और सम्पर्कों का लाभ बाद में अरबी-फारसी व्यापारियों ने लिया। ईसा के तीन हजार साल या उससे भी पहले खम्भात की खाड़ी के पास बसा गुजरात का लोथाल शहर मैसोपाटिया के साथ समुद्री रास्ते से व्यापार करता था। पहली और दूसरी सदी में पूर्वी अफ्रीका, मिस्र और भूमध्य सागर तक और जावा, सुमात्रा समेत दक्षिण पूर्वी एशिया के काफी बड़े हिस्से तक भारतीय वस्त्र और परिधान जाते थे।